Zinda Hoon Is Tarah Ki - जिंदा हूँ इस तरह के गम-ए-जिंदगी नहीं Lyrics

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ज़िंदा हूँ इस तरह की ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं
जलता हुआ दिया हूँ मगर रोशनी नहीं

वो मुद्दतें हुईं हैं किसीसे जुदा हुये
लेकिन ये दिल की आग अभी तक बुझी नहीं

आने को आ चुका था किनारा भी सामने
खुद उस के पास ही मेरी नैय्या गई नहीं

होंठों के पास आये हँसी, क्या मजाल है
दिल का मुआमला है कोई दिल्लगी नहीं

ये चाँद ये हवा ये फ़ज़ा, सब हैं
जो तू नहीं तो इन में कोई दिलकशी नहीं


Zinda Hoon Is Tarah Ki - जिंदा हूँ इस तरह के गम-ए-जिंदगी नहीं - Song Info.

Random ( )
Singer:
Music Directors:
Lyricists: आग (१९४८)
 Hindi Song