Din Kuch Aise Guzarta Hai Koi / दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई Lyrics

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दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई

आईना देखकर तसल्ली हुई
हमको इस घर में जानता है कोई

पक गया है शजर पे फल शायद
फिर से पत्थर उछालता है कोई

(तुम्हारे ग़म की डली उठाकर
जुबां पे रख ली है देखो मैंने
ये कतरा कतरा पिघल रही है
मैं कतरा कतरा ही जी रहा हूँ )

देर से गूँजते हैं सन्नाटे
जैसे हमको पुकारता है कोई


Din Kuch Aise Guzarta Hai Koi / दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई - Song Info.

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Singer:
Music Directors:
Lyricists: मरासिम (१९९९)