Hum Tere Shahar Mein Aaye Hain / हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह Lyrics

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हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह
सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौक़ा दे

मेरी मंज़िल है कहाँ, मेरा ठिकाना है कहाँ
सुबह तक तुझसे बिछड़कर मुझे जाना है कहाँ
सोचने के लिए एक रात का मौका दे दे

अपनी आँखों में छुपा रखे हैं जुगनू मैंने
अपनी पलकों पे सजा रखे हैं आँसू मैंने
मेरी आँखों को भी बरसात का मौका दे दे

आज की रात मेरा दर्द-ए-मोहब्बत सुन ले
कपकपाती हुए होठों की शिकायत सुन ले
आज इज़हार-ए-खयालात का मौका दे दे

भूलना था तो ये इकरार किया ही क्यों था
बेवफा तूने मुझे प्यार किया ही क्यों था
सिर्फ दो चार सवालात का मौका दे दे


Hum Tere Shahar Mein Aaye Hain / हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह - Song Info.

- ( )
Singer: Ghulam Ali
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Lyricists: -