Mere Desh Ki Dharti - मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हिरे मोती Lyrics

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मेरे देश की धरती, सोना उगले, उगले हीरे मोती

बैलों के गले में जब घुँगरू, जीवन का राग सुनाते हैं
गम कोस दूर हो जाता है, खुशियों के कंवल मुसकाते हैं
सुन के रहट की आवाज़े यूँ लगे कही शहनाई बजे
आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे

जब चलते हैं इस धरती पे हल, ममता अंगडाईयाँ लेती है
क्यो ना पूजे इस माटी को जो जीवन का सुख देती है
इस धरती पे जिस ने जनम लिया, उसने ही पाया प्यार तेरा
यहाँ अपना पराया कोई नहीं, है सब पे माँ उपकार तेरा

ये बाग है गौतम नानक का, खिलते हैं अमन के फूल यहाँ
गाँधी, सुभाष, टैगोर, तिलक ऐसे हैं चमन के फूल यहाँ
रंग हरा हरीसिंग नलवे से, रंग लाल है लाल बहादूर से
रंग बना बसंती भगतसिंग, रंग अमन का वीर जवाहर से


Mere Desh Ki Dharti - मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हिरे मोती - Song Info.

Upkar ( 1967 )
Singer: Mahendra Kapoor
Music Directors: Kalyanji Anandji
Lyricists: Gulshan Bawara
 Hindi Song